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Kovie Dashora

Abstract

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Kovie Dashora

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पुरुष का स्त्री होना तय है

पुरुष का स्त्री होना तय है

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जब पत्थर तैरने लगेंगे समुद्र में

तो फूल बन जाऐंगे

फिर एक पोस्टकार्ड  लिखूंगी 

देवताओं को

समुद्र मंथन से अमृत नहीं


ले आना

एक चुल्लु में ज़हर

और इस घूमती धरती पर

छिटक देना

पुरुष की आँखों में


चौथाई हँसी लिए

कुछ अधमरी औरतें और मछलियाँ

लाएँगी

दुआओं के सर्क्युलर


फिर उनके फरमान पर

सारे पुरुष का स्त्री होना तय है


स्त्री होने का गहन अर्थ

खिले कमल दल है



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