प्रेम की गली
प्रेम की गली
मानव सभ्यता में
भारत प्रेम की गली ही नहीं
प्रेम का एक गलियारा है।
यहाँ प्रेम अस्तित्व में भी है
मन्जिल भी है
सफर भी है
अगर इसे महसूस किया सका
और उसे शब्द दिया जा सका
तो यह इस सदी की
सबसे सुंदर और सार्थक खबर होगी
इस प्रेम के गलियारे में
अगर धर्म और सभ्यता के बीच
अंतर नहीं देखा जा सका
तो एकता की बात
और ढेर सारे नारे
जिनकी अनुगूंज
इस गलियारे की वायुमंडल में है
विघटन के
आधार बन सकते हैं।
समर्पण, दम्भ में
रूपांतरित हो सकता है
और मनुष्य के लिये
किसी दूसरी संज्ञा की
जरूर महसूस हो सकती है।
कुछ लोग गर्व से अपने को हिन्दू कह रहे हैं
कुछ लोग अपने को मुसलमान कह रहे हैं
और वो भी इस तरह से
जैसे वो भारतीय नहीं हैं।