प्रेम की अनुभूतियाँ
प्रेम की अनुभूतियाँ
प्रेम की अनुभूतियाँ
वही समझ सकता है
जिसने प्रेम किया हो
प्रेम मिलन और
विरह का मेल है
प्यार में मनुहार का
अलग आनंद है।
इंतजार का अलग आनंद है।
हर किसी की
चाहत होती है कि
जब मैं रूठूँ तो
कोई मनाये मुझे
मैं खुशकिस्मत हूँ
मुझे कोई मनाने वाला है
जब उदास रहूँ तो
कोई हँसाने वाला है।
उसका साथ हमें
बहुत भाता है।
वह याद बहुत आता है।
सुनो ! तुम कभी न रूठना
रूठने का हक
सिर्फ राधा को है।
कृष्ण, सुना न तुमने
प्रतीक्षा है हमें तुम्हारी
जब आओगे तो
वह दिन सबसे
महत्वपूर्ण होगा
वह पल, जब दर्शन दोगे
वह अनमोल होगा।
वैसे देखा जाए तो
प्रेम में दूरी कहाँ होती है
पास ही होते हैं बस
देखना और महसूस करना
एक कला है
जो सबको कहाँ आती है।