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Sanjay Verma

Romance

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Sanjay Verma

Romance

प्रेम का रंग

प्रेम का रंग

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लहराती जुल्फों में 

ढँक जाती तुम्हारे माथे की 

बिंदीया 

लगता हो जैसे बादलों ने 

ढांक रखा हो चाँद को। 


कलाईयों में सजी चूड़ियाँ

अँगुलियों में अँगूठी के नग से

निकली चमक 

पड़ती है मेरी आँखों में 

जब तुम हाथों में सजे 

कंगन को घुमाती हो। 


सुर्ख लब

कजरारी आँखों में लगे 

काजल से 

तुम जब मेरी और देखो 

तब तुम्हें केनवास पर 

उतरना चाहूँगा। 


हाथों में रची मेंहदी 

रंगीन कपड़ों में लिपटे 

चंदन से तन को देखता 

सोचता हूँ 

जितने रंग भरे तुम्हारी 

खूबसूरत सी काया में 

गिनता हूँ 

इन रंगों को दूर से। 


अपने केनवास पर उतारना 

चाहता हूँ तस्वीर 

जब तुम सामने हो मेरे 

पास हो मेरे। 

दूर से अधूरा पाता रंगों को

शायद उसमे प्रेम का रंग 

समाहित ना हो। 



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