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Ajit Kumar Raut

Abstract

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Ajit Kumar Raut

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प्रेम ही जीवन

प्रेम ही जीवन

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अमूल्य रत्न है निस्वार्थ प्रेम

   है प्रभु प्राप्ति की मार्ग,

प्रेम से ही प्रभु की होती है प्राप्ति 

   है यह मुक्ति की मार्ग।


राष्ट्र प्रेम हो जीवन के पथ में

  हो जनसेवक कर्तव्य,

प्रेम श्रद्धा हो प्रभु के चरण में

  हो प्रभु भक्ति कर्तव्य।


दीपक प्रेम की हमें जलाना है

  सत्य मार्ग अपनाना,

कर्म ज्ञान ज्योति जलाना है हमें

  गीता ज्ञान समझाना।


हर जीवों में प्रेम नित्य कर्तव्य 

  अहिंसा पथ रखना,

गृहस्थाश्रम में लाओ प्रेम भाव 

  कर्तव्य को समझना


पितृभक्ति हो मातृभक्ति हो

  उन्हें आदर करना,

यही कर्तव्य है डगर डगर 

  प्रेम पथ पर रहना।


प्रेम रखना है आत्मनिर्भर में

 आत्मविश्वास जगाना,

होगी आत्मनिर्भर तभी तो राष्ट्र

 जन जन को जगाना।


सफलता की ऐसी ज्योति प्रेम 

 हो प्रेममय जीवन,

होगी प्रभु प्राप्ति प्रेम भजन से

 तभी सार्थक जीवन।


भक्ति भाव रखो प्रबुद्ध जन की

 भक्ति नित्य गुरुजन,

प्रेम भक्ति श्रद्धा हो राष्ट्र कार्यों में

  है यही अमूल्य रत्न।


मनुष्य जीवन दुर्लभ जीवन

  प्रेम भरो जन जन,

करो भक्ति श्रद्धा नित्य राधाकृष्ण

  हो रामभक्ति जीवन।


जगन्नाथ भक्ति नित्य प्रतिदिन

  करो जनकल्याण,

न्योछावर करो दुर्लभ जीवन

  राष्ट्र की हो कल्याण।


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