प्रेम गीत तुझ पर बनाते रहे
प्रेम गीत तुझ पर बनाते रहे
उन्हें हम अपनी बातें बताते रहे
संग उनके रह उनको ही चाहते रहे
मैं जब आज उन्हें बताता हूँ प्यार है तुमसे
वो इस बात को मजाक समझ मुस्कुराते रहे
उन्हें....
क्या कोई भूल थी तुम हमें तो बताते
मेरी हरकतों को तुम मुझे ही सुनाते
तुम्हें क्या पता कितना टूटा सा हूँ मैं
फिर भी बन-संवर के तेरे पास आते रहे
उन्हें .......
प्रिये बन जाओ तुम,साथ आ जाओ तुम
संग मुस्कुराओ तुम,याद बन जाओ तुम
खुद से ज्यादा तुम्हें चाहता हूँ प्रिये
दिल के अपने सभी राज तुमको बताते रहे
उन्हें............
तू नहीं जानती तू है मेरी प्रिये
तेरे खातिर तो मैंने कई विष हैं पिये
तेरा गीत गाता तो फिर जी मैं जाता
प्रेम के सारे गीत तुझ पर ही बनाते रहे
उन्हें......

