प्रेम धनदोहाप्रेम धन अनमोल
प्रेम धनदोहाप्रेम धन अनमोल
प्रेम धन अनमोल यहाँ,
रहता जिसके पास।
सबसे ज्ञानी जानिए,
रहे ना वह उदास।।
प्रेम का बीज बो सही,
मिलती शीतल छाँव।
जीवन में खुशियाँ मिले
रखेंगे जहाँ पाँव।।
आकर्षण है प्रेम में,
बने फिर व्यवहार।
कर्कश वाणी छोड़ दे,
जोड़ प्रीत का तार।।
प्रीत से जगत तो चले,
जीवन का है गीत।
प्रेम है तो बने सभी,
जन के जग में मीत।।
हृदय में बसा प्रेम तो,
निखर जाय फिर रूप।
कपट छल हृदय से हटे,
कुरूप लगे सुरूप।।
