प्रेम बंधन
प्रेम बंधन
ज़ब मिले एक दूसरे से नयन से नयन,
हृदय का मिलना जुलना शुरू हुआ सजन !
स्नेह का बंधन बना हृदय का गठबंधन;
चांद-तारों सा जगमग हुआ ये मुदित मन !
मीठी-मीठी स्वर लहरियां कानों में गूंजें,
पावनपरिणय के मंगलगीत जब ज़ब बजे !
विवाहोप्रांत दुल्हन पावनी पुनीता सी लगे,
दो आत्माओं के मिलन के साज से हैं सजे !
हाथों में अपने सहचर का हाथ सदा मिले,
नवदंपत्ति के ह्रदय पुष्प प्रस्फुटित हो खिले !
जीवनपथ हो उजियारा साथी भी साथ चले;
हर जन्म में ऐसा ही दोनों का सौभाग्य मिले !