प्रदूषण
प्रदूषण
कारखानों की चिमनियों का
काला स्याह धुएं का गुब्बार उठता है
उद्योग आधार हैं देश प्रगति का
जहरीली गैस जहरीले रसायन
बढ़ रहा जल और आकाश प्रदूषण
अवैध कारखानों का काला कारोबार बढ़ता है।
जाती है जानें जब दो नंबर व्यापार होता है
मर जाते हैं मजदूर हादसों में
जिनका ना कोई फिक्र, न फ़र्क
मेहनत मजदूरी करते गरीबकी मौत का
न कोई ज़िम्मेदार है।
भूल जाते हैं सब जो आया है
वो जायेगा भी इस दुनिया से
क्या होगी हालत बढ़ते प्रदूषण से
अनदेखा कर देते हैं आज
जब ढाएगा मानव प्रकृति पर कहर
क्या करेगी प्रकृति, उगलेगी प्रकृति जहर।
हम सब हैं प्रभावित प्रदूषण औद्योगिक जीवन जगत से
पढ़कर चलना होगा सही दिशा में
अगर रहना चाहते हैं बीमारी मुक्त वातावरण से
प्रदूषण को करना होगा समाप्त
क्योंकि जिसका उत्थान हुआ है
उसका पतन भी संभव है
देश की उन्नति विकास के लिए
प्रदूषण नियंत्रण भी संभव है।
