प्रदूषित प्यार
प्रदूषित प्यार
प्रकृति पर्यावरण प्रदूषित
प्रदूषण रीति रिवाज संस्कार।।
मानव मानवता भी हो चुकी
प्रदूषित नही बचा अब विशुद्ध
प्यार का परिवार समाज।।
प्यार मे अब डिप्लोमेसी
प्यार परिवार का खंडन और
विखंडन प्यार का नव संस्करण
संस्कार।।
माँ बाप भी आश्चर्य चकित
क्या हो गया अब परिवार
समाज जिनके सपनो को
खून पसीने से किया साकार।।
चौथेपन में कहती है संताने जेनरतसन
गैप बृद्ध हुए बेकार ।।
घर मे बेटी बहु माँ बाप जैसे सास श्वसुर को
प्यार परिवार के रिश्तो से करती इनकार।।
बेटियां तो पराया धन बेटे दौलत सपनों का
संसार भूल ही जाते कल उनको
भी बनना है माँ बाप ।।
जेनेरेसन गैप में ना जाने क्या
हाल करेंगी उनकी संतान प्यार
परिवार सीमित होकर रह गया
मिया बीबी बच्चों का संसार।।
नए जमाने मे नए रिश्तो की
परछाई आज अमर्यादित समाज।।
बीबी का घर प्यारा कहते ससुराल
माँ बाप की दुनियां का बदतर हाल।।
भाई भाई की तो बात न पूछो
कह गए तुलसी दास बीबी की
बहना का शौहर भाई के रिश्तों
का नव संस्करण प्यार प्रेम का
रिश्ता बेमिशाल।।
बहना खोजती भैया को
मुश्किल ले पाता भाई उसका
हाल चाल कभी कभार।।
गाँव नगर मोहल्ले पड़ोसी के
रिश्तो का बन गया मज़ाक।।
नाली के झगड़े कूड़े का झगड़ा
झगड़ा नही तो अहंकार का रगड़ा
पड़ोसी से कम नही पड़ोसी
प्रतियोगिता में चाहे गिरवी हो
जाए परिवार।।
प्यार अब दौलत की चाहत
हुश्न हैसियत की हस्ती
इश्क इबादत नही तिज़ारत
व्यपार।।
प्यार में मिलावट स्टेटस का
शोहरत ताकत हद हस्ती का
प्यार भी अब नई दुनियां में
अच्छा खासा फलता फूलता
व्यपार।।
हुश्न भी इश्क से पहले
हैसियत की करती पड़ताल
तब प्यार के खुमार का फेंकती
जाल।।
नहीं बचे अब लैला मजनूं
सिरी फरहाद प्यार इश्क इबादत
के गीता और कुरान ।।
अब किस्सों में बच्चों को
बतलाया जाता पुत्र श्रवण कुमार
राम पिता की आज्ञा का भगवान।।
भूल ही जाती पीढ़ी आज
सच्चाई का प्यार धर्म कर्म है
अब तो स्वार्थ सिद्ध में डिप्लोमेसी
रिश्तों इश्क मोहब्बत का नकली
प्यार घर परिवार समाज।।
प्यार त्याग तपस्या बलिदान
सच्चाई के रिश्तो का परिवार
समाज आधार।।
त्याग तपस्या बलिदान की
तो बात न पूछो प्यार से पहले
जाना जाता है क्या होगा हासिल
क्यो करे सच्चे रिश्तो की खातिर
समय बर्बाद।।
कुछ भी निवेश वहाँ करेंगे
जहाँ रिटर्न ज्यादा लाभ वैश्विक
बाजारीकरण की दुनियां में
प्रदूषित नकली प्यार रिश्ते समाज
का फलता फूलता व्यपार।।