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ritesh deo

Abstract

4  

ritesh deo

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परदेश

परदेश

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परदेश क्या होता है,

पराया देश, वो देश जो मस्ती छीन लेता है,

जहाँ खुशियाँ छीन जाती है,

जो जवानी छीन लेता है,

जहाँ अपने कोई नही होते,

बदले में देता है,

बहुत सारा पैसा और तन्हाई.


वो पैसा जो कभी अपने लिए उपयोग नही करते,

वो पैसा जो अपने माँ बाप, बीबी बच्चों के लिए कमाते है,

अपना घर बनाने के लिए कमाते है, वो घर

जिसमे अपने बुढ़ापे में जाके रहने के लिए बनाते है,


एक ऐसे परदेशी की तरह जो हमेशा अपने देश से, गाँव से अनजान रहा,

और अब अपने बुढ़ापे के आखिरी दिन काटने के लिए उस घर में आ गया,

वो घर जो अब उसके बच्चों का है, उसके बहुओं का है, उसके पोतों का है,


वो घर जिसे बनाने के लिए उसने अपनी पूरी जिंदगी दे दी,

अपनी पूरी जवानी दे दी,

अपनी सारी खुशियाँ दे दी,

वो घर, वो गलियां जिनमे जाने के लिए वो पूरी जिंदगी तरसता रहा,

उस प्यार के लिए तरसता रहा...

सभी पुरुष भाई क़ो समर्पित.. परदेशी


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