पर्दा नीयत का
पर्दा नीयत का
अनदेखा कर देते हैं
काम निकलने के बाद लोग रास्ते बदल लेते हैं
आप उनको फ़ोन करो ज्यादा तो ब्लॉक भी कर देते हैं
बुरा वक्त आने पे दोस्त भी अजनबी हो जाते हैं
शुक्रिया कहकर थकने वाले लोग भी देखकर मुझे
नज़रें फेर लेते हैं
गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले लोग भी मित्र थे मेरे
सुबह से शाम तक रहते इर्द - गिर्द थे मेरे
समय का फेर है ये, शुभचिंतक भी अपने असली चेहरे दिखा गए
उम्र भर की दोस्ती बड़ी जल्दी निभा गए।
