STORYMIRROR

MANISHA JHA

Tragedy

3  

MANISHA JHA

Tragedy

पर्दा नीयत का

पर्दा नीयत का

1 min
951

अनदेखा कर देते हैं

काम निकलने के बाद लोग रास्ते बदल लेते हैं

आप उनको फ़ोन करो ज्यादा तो ब्लॉक भी कर देते हैं

बुरा वक्त आने पे दोस्त भी अजनबी हो जाते हैं

शुक्रिया कहकर थकने वाले लोग भी देखकर मुझे

नज़रें फेर लेते हैं

गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले लोग भी मित्र थे मेरे

सुबह से शाम तक रहते इर्द - गिर्द थे मेरे

समय का फेर है ये, शुभचिंतक भी अपने असली चेहरे दिखा गए

उम्र भर की दोस्ती बड़ी जल्दी निभा गए



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy