प्रभु
प्रभु
प्रभु तुम्हें ढूँढते है यहाँ वहॉं
मन भटकता है कहाँ कहाँ ?
चंचल मन नित मोह में फंसाए !
आत्मा हमारी नित तड़पत जाए !
काश कि प्रभु तुम दरस दिखाओ !
हमरे नयनों में आन समाओ !
जीवन की नैया को पार लगाओ !
अब बिन तुम चैन न पाएँ..
निसि दिवस तुमरी लगन लगाएँ
तुम हो स्वामी ..तुम हो रखवाले !
तुम ही हो हम सबके खेवनहारे !!
तुम बिन हम जीव किसके सहारे
नित तुम्हारा हम नाम पुकारें ..
हे प्रभु तुम अब जल्दी से आओ !
जल्दी से तुम हम भक्तों को ..
अपने पावन दरस दिखाओ !!
