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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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प्रभु प्यार दो

प्रभु प्यार दो

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होती हसरत सबकी ही पाने को प्यार

यह है होती कमाई नहीं कोई चमत्कार

मूल में इसके है खुद का ही तो व्यवहार

आप हैं भले तो भला है सारा ही संसार

होती हसरत सबकी ही पाने को प्यार।


मिलता है जो प्यार तब ही सुन्दर है संसार

संसार नीरस है जो नहीं है जीवन में प्यार

प्यार ही तो है सुखमय जीवन का आधार

बिना प्यार के है इस जग में जीवन बेकार

होती हसरत सबकी ही पाने को प्यार।


विविध रूपों का होता है इस जग में प्यार

सबसे पहला और निराला है माता का प्यार

नि:स्वार्थ- निश्छल है ये कुदरत का उपकार

खुशकिस्मत होते जिनको मिलता ये उपहार

होती हसरत सबकी ही पाने को प्यार।


भाई-बहन साथी- संगी का अद्भुत है प्यार

इनका प्यारा साथ देता है ख़ुशियाँ अपार

ख़ुशियाँ देता है हमको अपना ही व्यवहार

मेरी प्रार्थना- प्यार सबको दे दो हे करतार

होती हसरत सबकी ही पाने को प्यार।


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