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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

विश्वास

विश्वास

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बिन विश्वास काम चले न जग में,

सदा रहे इसका सबको ही अहसास।

आंख मूंदकर कभी किसी पर भी,

नहीं करना चाहिए हम सबको विश्वास।


इस परिवर्तनशील जगत में प्रतिपल,

चाहे-अनचाहे होते ही रहते हैं बदलाव।

समय और हालातों से पैदा होते हैं,

पर रोके भी तो रुक नहीं पाते हैं ये प्रभाव।

अनुभव और विवेक सहायक हैं होते,

ऐसे सब कठिन पलों में अपने अति खास।

आंख मूंदकर कभी किसी पर भी,

नहीं करना चाहिए हम सबको विश्वास।


तव प्रवत्ति को सब रहते हैं ताड़ते,

क्या है आपकी कमजोरी क्या है आपकी  शक्ति?

किन मुद्दों पर आप रहते हैं अविचल ,

कैसे विचलित होते किसमें आपकी है आसक्ति?

हम अद्वितीय कृति हैं परमेश्वर की,

कठिन समय में सत्पथ पर प्रभु प्रेरणा होती खास।

आंख मूंदकर कभी किसी पर भी,

नहीं करना चाहिए हम सबको विश्वास।


दृढ़ -प्रतिज्ञ रहें सदा शुभता के पथ पर,

विशेष प्रयोजन हित जग में हुआ आगमन हमारा है।

चिंतन- विवेक संग बनें परस्पर सहयोगी,

रहें दूर दुष्ट से यह सब जग ही तो परिवार हमारा है।

लालच -तृष्णा राग-द्वेष से बचकर,

गहें शुभ निर्भय होकर हम करके प्रभु पर अटूट विश्वास।

आंख मूंदकर कभी किसी पर भी,

नहीं करना चाहिए हम सबको विश्वास।


बिन विश्वास काम चले न जग में,

सदा रहे इसका सबको ही अहसास।

आंख मूंदकर कभी किसी पर भी,

नहीं करना चाहिए हम सबको विश्वास।


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