प्रभु का प्यार परहित में लगाएं
प्रभु का प्यार परहित में लगाएं
शक्ति रूप में मिल जाए ,
कहीं हमें प्रभु का प्यार।
परहित में लगाएं हम,
हो सुखमय सारा ही संसार।
ऐसी भावना हो प्रभु,
जग के हर इंसान की।
छोट- बड़े से मिलकर,
इस जग की हुई है रचना।
अनवरत ही सुख मिले हमें,
ऐसा होता है हर एक का सपना।
मना सकता है दुख कोई अकेले,
सबके संग सुख बांटना बात है शान की।
ऐसी भावना हो प्रभु,
जग के हर इंसान की।
शक्ति रूप में मिल जाए ,
कहीं हमें प्रभु का प्यार।
परहित में लगाएं हम,
हो सुखमय सारा ही संसार।
ऐसी भावना हो प्रभु,
जग के हर इंसान की।
ऋषि और मुनि हमारे,
साधना-तप किया करते थे।
अर्जित शक्ति के संग-संग,
खुद जन कल्याण हेतु जिया करते थे।
निज अस्थियां ऋषि दधीचि ने दे दीं,
बात आई जब वृत्तासुर के संसार की।
ऐसी भावना हो प्रभु,
जग के हर इंसान की।
शक्ति रूप में मिल जाए ,
कहीं हमें प्रभु का प्यार।
परहित में लगाएं हम,
हो सुखमय सारा ही संसार।
ऐसी भावना हो प्रभु,
जग के हर इंसान की।
आश्रम ऋषि-मुनि के,
होती थीं सब की सब प्रयोगशालाएं।
निज संकल्प को कर दृढ़ हम हमेशा,
निष्कर्ष -अनुभव को जन हित में लगाएं।
खाद्य औषधि और कोरोना का टीका,
जग को दे निभाई भूमिका विश्वगुरु भारत महान की।
ऐसी भावना हो प्रभु,
जग के हर इंसान की।
शक्ति रूप में मिल जाए ,
कहीं हमें प्रभु का प्यार।
परहित में लगाएं हम,
हो सुखमय सारा ही संसार।
ऐसी भावना हो प्रभु,
जग के हर इंसान की।