प्राकृति, मानव और कोरोना
प्राकृति, मानव और कोरोना
प्रकृति और मानव का ,
जब तक संतुलन साथ रहेगा।
जीवन की धारा का,
निरंतर तभी तक विस्तार रहेगा।
कद्र मानव जब तक प्रकृति की
कद्र नहीं करेगा।
तब तक आपदाओं का ,
ऐसे ही मचता संहार रहेगा।
प्रकृति और मानव का,
जब तक संतुलतन साथ रहेगा।
मानव ने प्रकृति से ,
जब -जब है खेला ।
कभी भूकंप .....
कभी सुनामी ......
अब आकर भीषण आपदा ,
कोरोना आ घेरा।
प्रकृति को संभालो ,
यह रक्षक है मानव की ,
न दौड़ो विकास की अंधी दौड़,
कहीं नहीं मिटेगी यह लंबी होड़ ।।
नाश जब -जब करोगे
तब -तब तुम मानव ,
प्रकृति का सामना करोगे,
किसी न किसी ,
महामारी का सामना करोगे।