पराई बेटी
पराई बेटी
बेटी की होती है विदाई
पर वो होती नहीं पराई
लोग पराई पराई कह कर
सच में कर देते हैं पराई
एक बार भी नहीं सोचते
बेटी की हो रही है विदाई
वो अलविदा नहीं कह रही है
फिर कैसे हुई वो पराई
जाने किसने ये दकियानूसी
रीत रिवाज है बनाई
जिसे हमेशा बेटियों ने
आँसुओ की सेज पर निभाई
बेटियों को सीखाते हैं सह लेना
घुट घुट के मशीन बन के जी लेना
पर कभी किसी से कुछ नहीं कहना
दो कुलो की लाज लेकर चलना।