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Dr. Razzak Shaikh 'Rahi'

Tragedy

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Dr. Razzak Shaikh 'Rahi'

Tragedy

पोस्टमार्टम

पोस्टमार्टम

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माना कि आजकल सेहत पर वार बहुत हैं

अस्पतालों में जीवरक्षक औजार बहुत हैं


रोज खुल रहे हैं नये - नये अस्पताल

फिर भी जमाना ये बीमार बहुत हैं


धंधा बड़ा है बेहतर,बन जाइये डॉक्टर

एमबीबीएस की डिग्री असरदार बहुत है


चाहे जरा भी इल्म न हो 'बिज़नेस' का अपने

'विशेषज्ञों' के यहाँ पर 'बाजार' बहुत हैं


नयी - नयी बीमारियां जो बढ़ाते हैं शरीर में

उन्ही के पास फिर जाते हैं हम लाचार बहुत हैं


बेरहमी की सारी हदें जो पार करते हैं

'डॉक्टर साहब' से हमें प्यार बहुत हैं


हॉस्पिटल्स बन चुके हैं 'फाइव स्टार हॉटेल्स'

एलोपैथी पर हमें ऐतबार बहुत है


रोज़ निकलता हैं अस्पतालों से लाशों का हुजूम

फिर भी वहाँ मरीज़ो की भरमार बहुत है


डॉक्टर तो डॉक्टर होते है, यमराज नहीं होते

लोगों को मुक्ति पाने का इंतज़ार बहुत है


पूजते हैं डॉक्टर को भगवान की तरह

दुनिया में बेवकूफों के सरदार बहुत हैं


अब तू ही बता राह इस 'राही' को ऐ ख़ुदा

गला काटनेवालों की यहाँ कतार बहुत है !




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