पंचतंत्र कहानी
पंचतंत्र कहानी
पंचतंत्र की पंच कहानी,
उनकी जुबानी देश कहानी
बजा रहा था एक मौनी
सात सुरों की संगीत पेटी,
आवाज आती मधुर मीठी
जनता भी लग रही खुश हाल
सबके जेब सब नंबर का माल
चेहरे पर हँसी, होंठ लाल लाल
फिर अचानक बाबा आये,
बाबा ने खुब बजाई झांझर
बदल दिया देश का मंजर
सुध बुध खो बैठी जनता,
झांझर के मंजर में
आये चुनकर बाबा फिर,
जनता के दरबार में
खुश जनता, खुश देश सारा
चारों तरफ खुश नजारा,
बाबा की बिना से मधुर धून
"आएंगे तुम्हारे, अच्छे दिन "
अच्छे दिन के आस में सारे
लिंक करने लगने दस्तावेज सारे
लिंक हो गये दस्तावेज सारे
बाबा अब बजा रहा नगाड़े
नगाड़े की आवाज,धुम..धडाम..
धुम.. धड़ाम.. धुम.. धुम..
"अच्छे दिन, विकास हो गए गुम
देशभक्ति का लगा दिया चसका
अब आप ही माय बाप अब हम
हम लगा रहें हैं मसका
मसका लगाते जनता को,
दी बाबा ने जनता को तुतारी
बजा रही तुतारी जनता सारी
कभी डीजल पर, पेट्रोल भारी
कभी दाल पर तेल भारी
कभी ये भारी ,कभी वह भारी
जनता बजा रही तुतारी
बाबा का मन भी होता भारी
भारी मन की, भारी कहानी
" मन की बात में सुनते जुबानी"
यही हैं पंच पुत्र की पंच कहानी,
उनकी जुबानी, देश की कहानी