Dr. Anu Somayajula
Tragedy
पंच तत्वों से बनी यह पृथ्वी
खो रही है-
रूप, रस, गंध;
बस एक ही शब्द
‘हाहाकार’
पल रहा अंतस में।
छूट रहा है अब मातृत्व का
प्रेम पगा स्पर्श भी!
कैसे कहें-
“धीर धरो मां”
हम ही ने तो इसे छला है।
नदी की व्यथा
किताबें
जिस पर हम वार...
पैसा उग पाता ...
पैसों का पेड़
कीमियागर
कट्टी - बट्टी...
जीवन का गणित ...
चांद और ज़िंद...
दहलीज़
मेरे पास केवल कुछ प्यादे हैं। नंगे और भूखे। मेरे पास केवल कुछ प्यादे हैं। नंगे और भूखे।
कहने को तो सब अपने हैं, पर दिल से हुए पराये। कहने को तो सब अपने हैं, पर दिल से हुए पराये।
जिंदा लाश बन वो नजर आई है।। जिंदा लाश बन वो नजर आई है।।
तेरे आँखों में जो दर्द की लहरें बसी हैं, उनमें बसी हैं कितनी कहानियाँ, ये किसी ने । तेरे आँखों में जो दर्द की लहरें बसी हैं, उनमें बसी हैं कितनी कहानियाँ, ये क...
विधाता ने जाने खलल क्यों ये डाला मेरी माँ को बेवक्त....क्यों मार डाला विधाता ने जाने खलल क्यों ये डाला मेरी माँ को बेवक्त....क्यों मार डाला
जो रिश्तों में हो ना हो पर हर किसी से अपना कोई रिश्ता निभाना ज़रूर चाहता होगा। जो रिश्तों में हो ना हो पर हर किसी से अपना कोई रिश्ता निभाना ज़रूर चाहता ...
बदला मौसम बदलो तुम भी अंतर्मन को करो सशक्त, बदला मौसम बदलो तुम भी अंतर्मन को करो सशक्त,
हमने सिर्फ एक खता की, आप पर ऐतबार किया। हमने सिर्फ एक खता की, आप पर ऐतबार किया।
ना ख्वाब है ऊंचे ऊंचे उसके दायरों में अपने अब रहने लगा है ना ख्वाब है ऊंचे ऊंचे उसके दायरों में अपने अब रहने लगा है
रक्त के रिश्तों को ,आज झुठला रहे हैं , जब जुड़ी, प्रियतमा संग, नव प्रेम की डोर ! रक्त के रिश्तों को ,आज झुठला रहे हैं , जब जुड़ी, प्रियतमा संग, नव प्रेम क...
तुम कितनी अच्छी हो , सुनने को तरस गये थे कर्ण। तुम कितनी अच्छी हो , सुनने को तरस गये थे कर्ण।
वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भी। इंतिज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे। वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भी। इंतिज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे।
हम उसके खयालों में सो नहीं पाते है, जब याद किसी की आती है। हम उसके खयालों में सो नहीं पाते है, जब याद किसी की आती है।
L आज है सूखा सूना गाँव कंसारे , बताओ कहां गए खलिहान हमारे ? L आज है सूखा सूना गाँव कंसारे , बताओ कहां गए खलिहान हमारे ?
रोज की ये भेंट तुमसे बिना कोई छाप छोड़ती यूं ही बिसर जाती आधी कही आधी सुनी बातें रोज की ये भेंट तुमसे बिना कोई छाप छोड़ती यूं ही बिसर जाती आधी कही आधी सुनी ब...
मुझे मारकर तुझे क्या मिलेगा भला सोच अक्ल से मां अपनी कोख में ! मुझे मारकर तुझे क्या मिलेगा भला सोच अक्ल से मां अपनी कोख में !
मैं जानती हूँ तुम्हारे आगमन से ही धरती पर स्वर्ग का बसेरा है मैं जानती हूँ तुम्हारे आगमन से ही धरती पर स्वर्ग का बसेरा है
काल के सारे भय से मुक्त हो कर हमने जीवन जीना स्वीकार किया! काल के सारे भय से मुक्त हो कर हमने जीवन जीना स्वीकार किया!
जिंदगी तुम बिन कहां गुजरी है आकर देख लेना। जिंदगी तुम बिन कहां गुजरी है आकर देख लेना।
ए मेरी मोहब्बत को ठुकराने वाली एक दिन तुझे मेरी याद आएगी। ए मेरी मोहब्बत को ठुकराने वाली एक दिन तुझे मेरी याद आएगी।