पल दो पल की खुशी
पल दो पल की खुशी
एक बार तेरी थोड़ा सा झलक
मैने भी पाया था
हाँ थोड़ी देर ही सही पर तुझे महसूस
मैने भी किया था
सुकून तो बहुत था पर बेचैन दिल था
ये लम्हा भी जरूरी था क्योंकि
चाहत अभी अधूरी था
पा लेना और खो देने के बीच का
एक ऐसा खुशनुमा पल बड़ा सुहाना था
दिखता तो नहीं था पर मोहन छवि था
ऐसा मानो भोर की वो पहली किरण
जो अंधेरे को चिरता हुआ आ रहा था
पर दूर कहीं बादल का मुस्कान बड़ा
बेदर्द था
उजाले के बीच अंधियारे का अस्तित्व
बड़ा अजीब था
हाँ अजीब इसीलिए भी की बड़ा शिद्दत
से रोशन ये पल था
इतनी जल्द अंधकारमय हो शायद
गँवारा न था।
