भूल हो गया
भूल हो गया
भूल हो गया जो छुपा ना सका
उठी हुई भावनाओं को दबा ना सका
बोलकर एक नए रिश्ते बनाने
की चाहत में
पुराने को भी बचा न सका
दिल से डरकर भी
मन को समझा न सका
रोकने का तो बहुत कोशिश
किया बढ़ते कदम को
अफसोस ऐसा कर न सका
पता नहीं आकर्षण था या कुछ और
मन के उस बवंडर को दबा न सका
भूल हो गया जो छुपा न सका
जुबां खामोश है इस कदर कि बता
नहीं सकता
रिश्तों के डोर में गांठ है जिसे चाहकर
भी छिपा नहीं सकता
ऐसा नहीं कि इस स्थिति से आगे निकल
जाना मेरे लिए मुश्किल है
दुख इस बात का है कि ऐसा पहली
बार हुआ जिसे संभाल न सका
मन में उठी बवंडर को दबा न सका
भूल हो गया जो छुपा न सका ।।