पक्की है दोस्ती
पक्की है दोस्ती


ना करूं इसकी कोई वकालत
और ना ही करूं इसकी शिकायत
होती रहती है खूब शरारत
भागते है, दौड़ते है,खूब मिलती है कसरत।
न मिलो तो हो जाती है फिकर
दोस्ती तो ऐसी है की मानो दूध में मिली है शक्कर
धूल -मिल गए है एक दूसरे में
एक की जान अटकी है दूसरे में।
दे देते हैं जान एक दूसरे की लिए
मर मिटते है काम करने के लिए
वफ़ा का दुसरा नाम है दोस्ती
इसमें कभी नहीं होती फिरका परस्ती।
यदि पक्की है दोस्ती की नींव
तो चैन से आती है नींद <
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नहीं लगती कोई फिकर
हम सदा घूमते है बेफिकर।
यदि दोस्ती की नींव हो गहरी
तो दोस्त बन जाता है प्रहरी
दुनिया लगती है हरीहरी
नही लगती कोई भी दुरी।
दे देते हैं जान एक दूसरे के लिए
मर मिटते है काम करने के लिए
वफ़ा का दुसरा नाम है दोस्ती
इसमें कभी नहीं होती फिरका परस्ती।
ऐसी दोस्ती पे हमें है फक्र
रहते है हमेशा शुक्रगुजार
जीवन के बाजार में बनी रहती है साख
यदि आ जाए मन मे खोट तो हो जाती जलकर राख।