पक्के से धागे
पक्के से धागे
तो इस पोटली में मैंने कई रिश्ते बांधें है
कुछ कच्चे हैं तो इसमें कुछ पक्के से धागे हैं
मां ने जिंदगी दिया पर वह अब जिंदा नहीं
पिता ने जो सिखाया वो और कहीं सिखा नहीं।
भाई है जो घर की तकरारों में दीवार बना गया
बहन का ससुराल के अलावा यहां रह क्या गया
बीवी की तो हर बात मुझे बहुत ही भाती हैं
पर हमारी संतान नहीं ये चिंता उसे सताती है।
बीवी की चिंता ने उसे आखिर चिता बना डाला,
और घरवालों ने भी मेरे हर रिश्तो को जला डाला
अनमोल रिश्तो में से एक दोस्त भी है मेरे पास
हर मुसीबत में काम आने वाला दोस्त है मेरा खास।
उम्र के साथ सभी रिश्तो ने अपना दम तोड़ दिया
दोस्त के घरवालों ने उसे वृद्धाश्रम में पनाह दिया
मैं और मेरा दोस्त इसी समंदर के किनारे आते हैं
अपने अपने रिश्तो की पोटली खोल हाल सुनाते हैं।
दो रोज हो चुके हैं अभी तक वह आया नहीं
हाल कैसा है आखिर उसने मुझे सुनाया नहीं
आश्रम से पता चला कि उसका भी देहांत हुआ
और इसी के साथ मेरे हर रिश्तों का अंत हुआ।
मैंने रिश्तो की पोटली समंदर में बहा डाला
कंधों पर से सभी रिश्तो का बोझ मिटा डाला।