पिये हुये हैं
पिये हुये हैं
पिये हुये हैं
सफर में हैं
वो भी जीवन के
और और पीना भी नहीं है।
आंखों में तुम्हारी तस्वीर
हवा में तुम्हारी खुश्बू
दिमाग मे जीवन की मन्जिल
यहसास ठीक ठीक तुम्हारा
तुम्हारी ही आहट
ये मौन सी सरगोशी भी तुम्हारी।
जाने कितने शक्ति दरों के
सम्मोहन नेपथ्य में हैं
जाने कितनी मुस्कान भरी खुशियां
पीछे छूट गयी हैं
जाने कितने निजाम खामोशी से गुजरे
मदहोश कर देने वाली आंखों के
आमंत्रण और उनके स्वीकार की
कहानियों के बीच से गुजरते हुये
हम विचार के साथ
चुहलबाजी करते हुये भी
कभी रुके नहीं सफर में।
कितना दिलचस्प था
वो इंतजार कि
वो समय आयेगा
सुनने को मिलेंगी
आनन्द की कहानियां
पिये हुये सफर में
आनन्द ही आनन्द हो गया।
