पिता
पिता
तो पिता के सम्मान में लिखता हूँ कि-
सबको पिता के शब्द का अर्थ पता है।
सबको पिता के होने का एहसास पता है।
पिता के कारण ही तो संसार छोटा लगता है।
पिता के कारण ही तो कोई समस्या लगती ही नहीं।
क्योंकि पिता सब समस्याओं का समाधान है।
पिता सब रिश्तों में प्रधान हैं।
तभी तो पिता धरती पर एक वरदान है।
पिता के कारण ही तो धरती छोटी लगती है
क्योंकि कोई ऐसी दूरी नहीं जी पिता नहीं नाप सके।
ऐसा कोई संकट नहीं जो पिता न काट सके।
इसलिए पिता के लिए कोई दिन नहीं हो सकता,
क्योंकि हर दिन की शुरूआत ही उनसे होती है।
कौन कहता है कि पिता के लिए कोई दिन या रात होती है।
मैं कहता हूँ कि पिता के लिए सब दिन, सब रात होती है।
पिता हैं तो जीवन हैं, पिता हैं तो सुख हैं।
पिता ने ही तो छिपाया कि कोई दुःख हैं।
चलो हमेशा याद रखें कि पिता सीना चौड़ा करके चलने का मूल हैं।
पिता का कोई एक दिन तय करना, यही तो पाश्चत्य जगत की भूल हैं।
