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Dr Rishi Dutta Paliwal

Others

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Dr Rishi Dutta Paliwal

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आहिस्ता चल जिंदगी

आहिस्ता चल जिंदगी

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आहिस्ता चल जिंदगी , अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है ।

कुछ दर्द मिटाना बाकी है, कुछ फर्ज निभाना बाकी है ।।


रफ्तार में तेरे चलने से कुछ रूठ गए, कुछ छूट गए । 

रूठों को मनाना बाकी है, रोतो को हसाना बाकी है ।।


कुछ हसरतें अभी अधूरी है, कुछ काम भी और ज़रूरी है ।

ख्वाइशें जो घुट गयी इस दिल में, उनको दफनाना अभी बाकी है ।।


 कुछ रिश्ते बनके टूट गए, कुछ जुड़ते जुड़ते छूट गए। 

उन टूटे-छूटे रिश्तों के ज़ख्मों को मिटाना बाकी है ।।


तू आगे चल मैं आता हूँ, क्या छोड़ तुझे जी पाऊंगा ? 

इन साँसों पर हक है जिनका , उनको समझाना बाकी है ।।

आहिस्ता चल जिंदगी , अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है ।



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