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मिली साहा

Abstract

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मिली साहा

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पिता की छांव में

पिता की छांव में

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पिता के प्यार की शीतलता मरहम होती है,

पिता की छांव में जिंदगी आसान लगती है,

पिता हिम्मत है पिता ताकत है पिता हमारी शान,

पिता ही हमारे वज़ूद की होती है पहली पहचान,


धैर्य, त्याग और संयम की पराकाष्ठा है पिता,

जब भी लड़खड़ाए कदम संभालता है पिता,

जीवन के किसी मोड़ पर आए कोई उलझन,

एक योद्धा की तरह हर वक्त हाजिर है पिता,


ऊपर से सख्त दिखते पर दिल मोम सा है कोमल,

जीवन की पथरीली राहों में पिता होता है मखमल,

स्वयं के सपने त्याग कर संतान की इच्छा सर्वोपरि,

पिता ने थामा हाथ जो कोई मुश्किल न लगती बड़ी,


धरती सा धीरज होता पिता में तो आसमान ऊंचाई,

जताते नहीं पर चलते बनकर वो बच्चों की परछाई,

छुपा लेते अपने आंसुओं को सबको रखते हैं खुश,

कितने भी हों परेशान कभी बताते नहीं अपना दुख,


मतलब की इस दुनिया में बेमतलब का प्यार करता,

खुद जीवन की धूप सहता बच्चों को छांव में रखता,

बिना बताए जो दिल की हर बात समझ जाता,

धरती पर बच्चों के लिए पिता होता है फरिश्ता।


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