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Nisha Nandini Bhartiya

Classics

3  

Nisha Nandini Bhartiya

Classics

पिता का दुख

पिता का दुख

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देकर हर सुख बेटे को

पाल-पोस कर बड़ा किया 

सींच अपने खून पसीने से 

पढ़ा-लिखा कर खड़ा किया। 


हाथ मेरा थामे रहता था 

जब वो स्कूल जाता था

पापा तुम जल्दी आ जाना

रो-रो कर वो कहता था। 


नहीं चाहिए मुझे खिलौने 

बस पापा तुम आ जाना 

गोदी में अपनी लेकर के 

प्यार मुझे तुम कर लेना। 


बड़ा हो गया बेटा मेरा

हाथ मेरा अब छोड़ गया 

रोते-बिलखते पापा से 

रिश्ता अपना तोड़ गया।


उठा न सका वो भरी बोझ 

अपने अपाहिज पापा का

व्हील चेयर में बैठाकर 

वृद्धाश्रम की ओर गया।


अजनबियों के बीच में 

आज मुझे वो छोड़ गया 

जिम्मेदारी से घबरा कर 

अनाथ मुझे वो कर गया। 


आशीर्वाद देता है दिल

बेटा मेरा खुश रहे 

उसकी झोली के सारे दुख

मेरी झोली में पड़े रहे।


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