पिता ही मिसाल
पिता ही मिसाल
दोहरे किरदार में होती है पिता की जिंदगी,
एक तरफ बेटे का फर्ज दूसरी तरफ बच्चों के इलम और तालीम की फिक्र ।
अदब से पेश आना पिता के लिए, तहजीब और सख्ती का अहसास बच्चों के लिए,
अलग अलग किरदारों को बखूबी निभाने की कला, हर एक नहीं कर सकता ये अदा।
पिता से सीखा, चलना, संभालना, सही, गलत की पहचान,
जोड़े कैसे रखे परिवार और सोशल स्टेटस बनाना ।
बच्चो से सीखा मुस्कुराना, नए जमाने में कदम से कदम मिलाना,
पुराने ख्यालों को नया जामा पहनाना, सोशल मीडिया के स्टेटस में छा जाना।
हर पिता के दो अहम किरदार, जवानी तक रहता जुनून पिता जैसा मुकाम पाने का,
फिर रहती चाहत पिता जैसी मिसाल पाने की, खुद पिता बन जाने के बाद।
पर कितना भी कर ले तू किरदार अदा बेटा, बाप बाप ही होता हे,
तू नही बन पाएगा अपने बाप ए मिसाल जैसा।
