STORYMIRROR

Vivek Gulati

Abstract Classics

4  

Vivek Gulati

Abstract Classics

पिकनिक

पिकनिक

1 min
358

मिल जुल कर समय बिताना

मस्ती करना मौज उड़ाना

खाना पीना हंसना गाना

लगता है बीत गया वो ज़माना।


इंडिया गेट में आइसक्रीम खाना

दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलना

घास पर चादर बिछा भोजन करना

लगता है बीत गया वो ज़माना।


इंडिया गेट से बढ़खल का सफर

कॉलेज के दोस्त बने हमसफर

पिकनिक का अब जाना नया मायना

लगता है बीत गया वो ज़माना।


अब हैंग आउट करते कैफे व बार में

फैशन के साथ बदलते दोस्त हर माह में

कोरोना ने सिखाया वर्चुअल जाम टकराना

मुझे लौटा दो पिकनिक का वो ज़माना।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract