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Chandramohan Kisku

Tragedy

3  

Chandramohan Kisku

Tragedy

पीली चिड़ियाँ

पीली चिड़ियाँ

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आँखों की पलकें बिन गिराये

देख रही है एकटक 

निर्धन और बहुत की करुण,

वह बहुत ही प्यारी सी

पीली चिड़ियाँ,

उस पेड़ की ओर

जो थरथर काँप रहा है 

कुल्हाड़ी की 

एक- एक चोट से ।


उसे दुःख हुआ है ,

निश्चिंतता की दो बातें 

न कह पाने की ,

उस दोस्त गिलहरी से 

जो उस पेड़ की ही 

खोह में है ,और

प्राण बचाने के

पथ नहीं खोज पा रही है। 


मनुष्यों के मुँह से 

अनेक बातें सुनी है ,

पेड़- लत्ताओँ के बारे में 

के,

पेड़- लताएँ

कितने काम आते हैं

मनुष्यों के जीवन में ,

आँधी- तूफान और धूप से 

मनुष्यों को बचाते हैं,

दूर आकाश की 

काले बादलों को 

धरती में उतारते हैं। 


अब वह हिंस्र कुल्हाड़ी 

उसी मनुष्यों के ही 

हाथ में है, 

मनुष्यों के बुरे विचार 

और कुल्हाड़ी के धार से 

पेड़ धड़ाम से गिर गया ,

रह गया केवल ठूंठ  

और पीली चिड़ियाँ ,

कुछ न कर सकने के दर्द से 

आँखों से आँसू गिराने लगी ।



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