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Swati gandhi Gaur

Tragedy

5.0  

Swati gandhi Gaur

Tragedy

(अस्तित्व वृद्धाश्रम का)

(अस्तित्व वृद्धाश्रम का)

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क्यों अस्तित्व है वृद्धाश्रम का,इस पर विचार करना है,

जिन नैनों ने सपने देखे, आज उनका टूटा सपना है।।


जब श्वास चलती सबसे पहले, माँ का आँचल है मिलता,

पिता के साये में ही तो , बच्चे का बचपन है खिलता।।


जिंदगी के सफर में , वो ही तो हमें चलना सिखाते,

पथ के कांटों को दूर कर, वो साथ हमारा निभाते।।


सर्दी भी होती है जब हमें, मां ही तो नीर बहाती,

नज़र न लग जाये हमें, काला टीका वो लगाती।।


हमारी खुशियों के खातिर ,वो सब अपना गवायें,

भूल हर अभिलाषा अपनी, बड़ा हमें बनायें।।


आज इतने निर्मम हुए हम, उस मां पिता को भूल गए,

कैसे सजाया हमारा जीवन,उस हर एक पल को भूल गए।।


जिनसे जुड़ी थी जीवन की, कभी हर एक हमारी कड़ी,

वक्त कहाँ है पास अब अपने,उनके लिए दो घड़ी।।


समय और पैसा होगा बर्बाद, कैसे बोझ उठायें,

विचार ऐसे अब मन में, वृद्धाश्रम छोड़ आयें।।


मरें या जियें जो भी करें, बस पीछा हम छुड़ायें,

अब इन बूढ़ों को,अब ओर हम न सह पायें।।


दिल ने जिनके सपने संजोये, आज वही आंसू बहायें,

अपने बच्चों से मिलने के खातिर,आज वही तरस जायें।।


इतना न अपमान करो, बड़े बूढ़ो का मान करो,

जिन्होंने जीवन दिया है तुमको, उनका तुम सम्मान करो।।


कुछ पल के लिए सही ,उनके साथ मुस्कुराके देखो,

बच्चों से प्यारे होते हैं, अपना बनाकर तो देखो।।


नसीबों वाले होते हैं जिनके सिर है, मां पिता का हाथ,

किस्मत से ही मिलता है, बड़े बूढ़ों का आशीर्वाद।।


क्यों अस्तित्व है वृद्धाश्रम का, इस पर विचार करना है,

जिन नैनों ने सपनें देखे, आज उनका टूटा सपना है।।


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