आखिर क्यों?
आखिर क्यों?


आज एक सवाल आया है मन में ?
क्यूँ हो गया है इंसान ऐसा,
क्या सच में हम इंसान ने तरक्की की है
क्यूँ यहां भाई भाई के खून का प्यासा
अपने अपनों के ही दुश्मन है, क्या
कोई भी यहां सुरक्षित है,
कोई एक मुसीबत में होता है तो दस
तमाशा बनाते हैं, मदद के नाम पर
धोखा दे जाते हैं।।
किसी पर आज विश्वास नहीं कर सकते
सच में जरूरत होने पर भी किसी को
बस छल नज़र आता है, क्योंकि इंसान
इंसान को ही लूट कर चला जाता है।।
हमने मिसाइलें बना ली है और देश ने
खूब तरक्की कर ली है लेकिन इंसान
खोखला हो चुका है और इंसानियत
मर चुकी है।।
आज पैसों के लिए किसी की जान का
मोल भूल गये हम, मिलावट के नाम पर
जहर खिलाया जा रहा है,
किन्तु जो दूसरों को जहर खिला रहें हैं
क्या वो खुद ज़हर से बच पा रहें हैं।।
जिस देश में माँ को पूजा जाता है,
आज वही बहन बेटियाँ सुरक्षित नहीं हैं ,
उनके साथ बस खिलवाड़ हो रहा है,
रूह भी कांप जाए ऐसा अपमान हो रहा है।।
धर्म और जाति प्रथा के नाम पर खून
बहाया जा रहा है,
मिल जुलकर रहने की जगह एक दूसरे
को बस काटा जा रहा है।।
जिस मासूम गाय का दूध हर धर्म का
बच्चा पीता,
जिसके दूध के बने व्यजनों का हर कोई
सेवन करता,
जिसके तन का हर हिस्सा अनमोल है,
उस गाय को क्यों एक धर्म से जोड़ा जाता
क्यों बेरहमी से उसे काटा जाता।।
आखिर क्यों..?
हम तो बस इंसान बनकर आये थे न
हैवान क्यों बन रहे है, हर धर्म आपस में
प्यार,अहिंसा सिखाता है, सच्चाई सिखाता है,
दिल से सोच समझकर देखो
ईश्वर एक, नाम अनेक, बस यही बताता है।।