पिछली रात को ...
पिछली रात को ...
इंतजार जैसे उसका इमान हो
कुछ ऐसे ही वो इंतजार करता रहा
उस लहर का, जो छोड़ गयी थी
कल रात कुछ सीपियाँ तो कुछ मोती जैसे कदमों के निशां
लहरों का क्या है ,
आती है ...चली जाती है
पर उस किनारे का क्या
जो देता है उतना ही प्यार उतना ही दुलार
हर आने वाली उस लहर को
जिसे आख़िर में चले जाना है
पल भर का साथ था,
फिर मिलन इंतजार
हर लौटती उस लहर को,
जो छोड़ आई थी अपने कदम-ए-निशां
उस किनारे पर, पिछली रात को …
