पिछले बरस का क्रिसमस...
पिछले बरस का क्रिसमस...
याद होगा शायद तुम्हें भी पिछले बरस का क्रिसमस....
तुम बदल चुके थे, और मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती थी,
बस यहीं तक था हमारा संघर्ष...
हाँ... बहुत इंतजार किया था तुम्हारा,
पर तुम नहीं आये,
ना ही तुमने कोई कॉल या मैसेज किया...
बहुत रोई थी मेरी आँखे अपने दिल को साथ लेकर,
पर तुमने मुझे नजर अंदाज कर दिया था उस वक्त तक,
मैैं कॉल ना कर दूँ इसलिए तुमने अपना फोन तक बंद कर दिया था,
फिर भी मैं बार - बार पागलों की तरह अपना फोन देख रहीं थी,
अब आया कॉल तुम्हारा ... अब आया मैसेज तुम्हारा....
पर कुछ भी ऐसा नहीं हुआ जैसे दिल ने चाहा था,
अगले दिन खुद मैंने केक खरीदकर तुम्हें कुछ तानों के साथ दिया था,
सोचा था शायद तुम समझ जाओ मेरे दर्द को,
पर तुमने तो अपने कुछ झूठी बातों से मेरा दिल बहला ही दिया,
समझ तो पहले ही चुकी थी कि,
तुझे अब कोई दिलचस्पी नहीं रहीं,
फिर भी खोने का ड़र मुझे तेरी जूती चटाएँ जा रहा था....
.
अब एक साल बीत चुका है इस बात को,
फिर भी कल ही लगती है ...हर एक बात...
खुद से अब तुझे खोने का ही ड़र निकाल दिया है,
तभी खुश रहने लगी हूँ अब...
नहीं तो याद है ना, वो रात - रात भर तक रोते रहना,
वो पागलों की तरह तुझे कॉल पर कॉल करना,
वो तेरे फोन मैं मेरे सौ -डेढ़ सौ मिस कॉल होना,
वो तेरा तंग आकर मुझे गुस्सा करना,
वो तेरा पसंद ना करने पर भी रास्ता रोकना कि, थोड़ी देर और तेरे पास रहने की आस,
वो तेरा पसंद ना होने पर भी,
तेरे घर पहुँचकर भी तुझे कॉल कर के पूछना ठीक से पहूँच तो गए ना,
वो तेरा तंग आकर फोन बंद कर देना,
वो मेरा छोड़कर मत जा कहकर बार -बार तेरे पास गिड़गिड़ाना...
वो हर बात पर लड़ते रहना....
वो आखरी बार तेरे मूँह से निकल जा तक सुनना....
सब तो खत्म हो चुका हैं अब......
अब के क्रिसमस यह सब दोबारा नहीं दोहराया जायेगा...
क्यूँ ही हमेशा के लिए मैंने ही तुझे छोड़ दिया है....
