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Ratna Kaul Bhardwaj

Abstract

3.4  

Ratna Kaul Bhardwaj

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फूल कमल का जब खिलता है!

फूल कमल का जब खिलता है!

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कमल का फूल जब खिलता है 

भीज, फूल ,फल यह एक साथ लाता है

बहुत बड़े कर्म की सीख हमें देता है 

फल -आहार 

फूल - सुगंध और शोभा 

और भीज - कर्म और कर्मों की गति

यही हमें बतलाता है  


चल बन्दे आँखें खोल दे, 

रात का अँधेरा चीर कर  

सुहानी  सुबह का आगाज़ हुआ है 

देखो आसमान पर लाली छाई हुई है

हवाओं में छांव का एहसास गुला है 

परिंदे घोंसले छोड़ रहे है

देखो सूरज कैसे उग रहा है 

धरती पर प्यारी छवियां खेल रही है।


भोर हुई, नन्ही कलियाँ खिल उठी हैं

वो देखो खेतों में भी हल चल होने लगी हैं 

यह समय है आनंद से है भरा हुआ 

शंखनाद वह मंदिर में भी शरू हुआ 

इस समय को बन्दे मत गवां


 बीती रात का करिश्मा देख 

कल रात कितने कमल दल फूले 

बन गए अब भंवरों के झूले

उठो लेलो एक नया संकल्प 

मानवता का पाठ पढ़ाओ 


कीचड में भी खिलते हैं फूल 

जैसे कमल अमूल्य भरपूर 

सोचो तो मानवता क्या होती है

कमल के फूल से लो एक सीख भरपूर। 


पानी में यह उगता है 

कीचड से यह झूझता है 

पर जल से जब बाहर आता है 

बस मुस्कुराता रहता है 


कमल फूल एक प्रेरणा है, 

अंधियारे की आगोश में 

लहरों से हताश ना होकर 

विजय अपनी अंतर- आत्मा पर पाकर 

सुख का बिगुल बजता है 

अंधकार को भगाकर

कमल दल फूल खिलता है।


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