फूल भँवरा पराग
फूल भँवरा पराग
आई भिंगी बरसात सुहानी हुई रात
बरसे बरखा जले दिल बिरह की आग
भिंगा तन, मन में अकाल आँखों भूचाल
ढूँढे तुझको नजर, पिया सुनो मेरी बात
बहे पवन का वेग, दिल जलन हुई तेज़
सेज सुनी सुनी निर्मोही आवे मुझे लाज
धरती आकास भिंगे, फूल भँवरा पराग भिंगे
भिंगे मेरी चुनर, दगाबाज किया क्यो घात
बागो बहार आई , बूँदें तन में खुमार लाई
पिया नादान पीर, तेरी समझ में न आत
गरज बरस बादल, मेरे दिल को जलाए
सजनी तड़पाये पिया बरसे नैनन बरसात
दिल को लगा के प्यार जता के पिया कहाँ
झींगुर डरावे गादुर गावे पिया तड़पूँ आज
मेघ जब तुम आना, संग साजन को लाना
सच बोलूँ तुमसे, तेरे बिना कुछ न सुहात