STORYMIRROR

Shyam Kunvar Bharti

Romance

2  

Shyam Kunvar Bharti

Romance

फूल भँवरा पराग

फूल भँवरा पराग

1 min
356


आई भिंगी बरसात सुहानी हुई रात

बरसे बरखा जले दिल बिरह की आग

भिंगा तन, मन में अकाल आँखों भूचाल


ढूँढे तुझको नजर, पिया सुनो मेरी बात 

बहे पवन का वेग, दिल जलन हुई तेज़

सेज सुनी सुनी निर्मोही आवे मुझे लाज


धरती आकास भिंगे, फूल भँवरा पराग भिंगे

भिंगे मेरी चुनर, दगाबाज किया क्यो घात

बागो बहार आई , बूँदें तन में खुमार लाई


पिया नादान पीर, तेरी समझ में न आत

गरज बरस बादल, मेरे दिल को जलाए

सजनी तड़पाये पिया बरसे नैनन बरसात


दिल को लगा के प्यार जता के पिया कहाँ

झींगुर डरावे गादुर गावे पिया तड़पूँ आज

मेघ जब तुम आना, संग साजन को लाना

सच बोलूँ तुमसे, तेरे बिना कुछ न सुहात



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance