फरिश्ते
फरिश्ते
आए कई फरिश्ते बने कई रिश्ते
निभाना अभी बाकी है।
संघर्षों की लपटों में जल रही है जिंदगी।
बस सोना बनना अभी बाकी है।
लकीरों से उलझते-सुलझते
जल रहे हैं कई दीप लेकिन,
अंतर्मन जगाना अभी बाकी है।
कर चुके सारे यत्न ।
धरने पर बैठना अभी बाकी है।
खिड़कियां खुलते-खुलते खुल ही गई आखिर।
बस दरवाजे खुलना अभी बाकी हैं ।
दीवारों ने तो कब से हां कर दी है।
छत को हां भरना अभी बाकी है।
दुशालें पहनी तो है बहुत।
लेकिन उसका हकदार बनना अभी बाकी है।
अभी-अभी कान्धों ने आकाश संभाला है ।
परवाज़ लेना लेकिन अभी बाकी है।
सपनों ने ली है उड़ान।
नींद से जगना अभी बाकी है।
बिखर गई जिंदगी तो क्या।
आशा तो अभी बाकी है।
उलझी-उलझी लकीरों को भूल तो गए।
बस अनबुझी पहेली सुलझाना अभी बाकी है।
लुत्फ़ ले लिया बहुत मुफ्त के आराम का।
बस कमर कसना अभी बाकी है।
अपने दूर हुए तो क्या।
मां का साथ तो अभी बाकी है।
प्रकृति का दोहन कर लिया बहुत
कौन-सा अंजाम देना अभी बाकी है।
रोज ही पेड़ कटते हैं।
किस डाल पर घर बसाना अभी बाकी है।