फ़रिश्ते
फ़रिश्ते
कुछ अजनबी दहलीज पर आये थे
हमारे लिए ताज़े फूल भी लाए थे
शायद हमें घर से निकलते देखा था
तहज़ीब से हिदायत देने आए थे
आप दोनों बुज़ुर्ग हो,
हमारे अज़ीज़ हो
सबके सरपरस्त हो
आप घर के अंदर ही महफूज़ हो
घर की जो जरूरत हो आपकी
इत्तला हमें फोन से कर देना
समान सलामत घर पहुंच जाएगा
पर आप घर की चौखट से बाहर
हरगिज़ कदम मत रखना
ताक रहा है खतरा हर कोनों से
इसे नजर अंदाज़ कभी मत करना
सोचते रहे ये भी तो इंसान हैं
इन्हें खतरे से डर क्यों नहीं लगता
खुद जान हथेली पर रख कर भी
हमें महफूज़ देखने का ज़ज़्बा था
सुना था फरिश्तों का दीदार नहीं होता
खुशी का अहसास हमारा इंतहा पर था
जब फरिश्तों का अक्स हमने इंसानों में देखा
