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Rajendra Jat

Romance

4.7  

Rajendra Jat

Romance

फोन वाला इश्क

फोन वाला इश्क

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स्वयं को भूल,

अंजान राहों पर बढ़ना,

और राह की ठोकरों से दो चार होना।

फोन देख अकेले में मुस्कुराना,

कभी बेवजह हंसना, तो कभी रोना,

कभी गुस्सा तो कभी मुस्कुराना,

यही तो है फोन वाला इश्क।।

बनावटी चेहरों में प्यार खोजना,

मीलों की दूरियों को पल में मिटा देना,

पास होकर भी दूर हो जाना,

सोशल हो "प्यार" जताना,

फिजिकल से ज्यादा इमोशनल होना,

यही तो है फोन वाला इश्क।।

इश्क का मैदान "सोशल" बना

फोन बनता हथियार।

स्टेटस हो या पोस्ट लाइक कर शेयर करना

बना प्यार का नया इज़हार।

अपनों को भूलते, सपनों को भूलते

भूल गए मंजिल,

होता "शून्य" इससे हासिल।

यही तो है फोन वाला इश्क।।



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