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Raakesh More

Romance

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Raakesh More

Romance

फिर भी

फिर भी

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किसी ने हमसे इतनी

नफरत की है दोस्तों

के हमने भी उनसे बेइन्तहा 

प्यार करने की ठान ली।

उन्होंने तो सिर्फ नफरत की 

निगाहों से देखा है हमें

फिर भी हमने उन्हे अपनी 

जिंदगी मान ली।


कम पड़ जाती है उम्र यहाँ 

प्यार करने की खातीर 

न जाने नफरत के लिए 

उन्हें वक्त कैसे मिलता है?

वाकिफ़ नहीं है वो कुदरत के

रिवाजों से शायद 

भला रेगिस्तान मे भी कोई 

फूल खिलता है? 

कैसे दिखाएं अब हम उन्हें

हाल-ए-दिल का ये मंजर 

अब तक उसने मेरे प्यार की 

गहराई नहीं जान ली।


वो देख रहा है हाल क्या है 

मेरे प्यार भरे दिल का 

उसकी मर्जी के बिना एक 

पत्ता भी हिलता नहीं,

कभी तो बारिश होगी उसके 

रहेम-ओ-करम की मुझपर।

कौन कहता है कि यहां 

टूटा हुआ दिल सिलता नहीं

उम्मीद अपने दिल की 

कायम रखते हुए ,

मिलावट से दुनिया की हमने 

अपनी मोहब्बत छान ली।


गुजरते वक्त के साथ कुछ तो 

बदलाव आएगा जरूर, 

गुस्सा तेरा कभी ना कभी तो 

पिघल जाएगा जरूर,

यकीन है मुझे मेरे प्यार पर 

नग्मा मेरे प्यार का एक दिन

तेरा दिल गाएगा जरूर। 

पर देखना कहीं लोग ये ना कहें 

तुझे मेरी लाश देख कर 

कि मोहब्बत मे एक सीतमगर ने 

एक आशिक की जान ली।


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