फिर भी रहे पराये हम ही
फिर भी रहे पराये हम ही
दूजे का क्या है टूट गया ,
अपना कौन हुआ अपना है ?
समय दिखाता रहा अँगूठे
रिश्ते झूठे नाते झूठे ,
फिर उन्हें निभाते रहना ,
अनिकेतन जीवन अपना है
दूजे का क्या है टूट गया
अपना कौन हुआ अपना है?
तज उपहास उपेक्षा दूजी
मेरे पास रही क्या पूँजी ,
सपने का क्या है टूट गया
सपना तो फिर भी सपना है,
दूजे का क्या है टूट गया
अपना कौन हुआ अपना है ?
सोम-सुधा जगभर में बाँटी
धरती की जंजीरें काटी
फिर भी रहे पराये हम ही ,
कँपना कभी कभी तपना है,
दूजे का क्या है टूट गया
अपना कौन हुआ अपना है ?
