फिर भी मोहब्बत के दीवाने
फिर भी मोहब्बत के दीवाने
उसूलों के खातिर लोग, इनके आशियां जलाते हैं।
फिर भी मोहब्बत के दीवाने, चिराग अपनी जलाते हैं।।
उसूलों के खातिर लोग-----------------------।।
मंजूर नहीं होती है कभी, इनके दिलों की फरियाद।
अपनी राहों में दीवाने, कितनी मुसीबत उठाते हैं।।
उसूलों के खातिर लोग----------------------।।
देते हैं वास्ता इनको, लोग रस्मों - रिवाजों का ।
कैद जंजीरों में करके, इनको बेड़ियां पहनाते हैं।।
उसूलों के खातिर लोग--------------------।।
रहम नहीं आता इन पर, करते हैं जुल्म इन पर लोग।
पसंद इनकी पूछे बिना लोग, यहाँ जोड़ियां बनाते हैं ।।
उसूलों के खातिर लोग---------------------।।
प्यार पर इस तरहां कभी, लग नहीं सकता कोई पहरा।
इससे तो बढ़ता है प्यार ज्यादा, क्यों इन्हें सताते हैं।।
उसूलों के खातिर लोग---------------------।।
प्यार मिट नहीं सकता कभी, खुदा भी है इसका प्यासा।
रहे आबाद वतन की मोहब्बत, पैगाम हम यह सुनाते हैं।।
उसूलों के खातिर लोग---------------------।।
