फिर भी मैं पराई हूँ
फिर भी मैं पराई हूँ
मैं !
जन्म से ही पराई हूँँ
जहां जन्म लिया
पराई अमानत,
समझ के पाला
अपना समझा
फिर भी,
मैं विदाई से ही पराई हूँँ
सब को अपनाने वाली,
फिर भी मैं पराई हूँँ
सात फेरों से,
जब मैं
अपनों से हुई पराई
जबकि मैं,
उनके लिए भी पराई हूँ
तन -मन से अपना माना,
फिर भी मैं पराई हूँ
बिना कोई प्रश्न के,
प्रश्न चिन्ह- सी मेरी कहानी
जन्म देने वालों के,
मुंह-जुबानी
तू तो अपने घर जाएगी
अपना घर,
कह -कह कर पाला
फिर तू तो पराई है
सब को अपनाने वाली,
फिर भी मैं पराई हूँँ
समर्पित भाव से,
तुम्हारा घर संभाला
परिवार से परिवार को
अपना बनाया
लेकिन कड़वे,
सब शब्दों में,
ऊपर -ऊपर ही,
प्यार की परछाई है
जिंदगी भर,
अपने सपनों को ढूंढती रही
यह बात तो,
किसी के भी समझ ना आई है
सबने अपना-अपना
कह के मतलब निकाला
सब को अपनाने वाली,
आदि -असितत्व,
मैं सबकी
फिर भी मैं सबसे पराई हूँँ
फिर भी मैं पराई हूँ।
