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Vikas Sharma

Romance

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Vikas Sharma

Romance

फिर भी दिल ना माना

फिर भी दिल ना माना

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ये भी पता था अंजाम ये होगा,

फिर भी दिल ना माना,

ये भी पता था सजा ये मिलेगी,


फिर भी दिल ना माना,

ये भी पता था दगा ही मिलेगी,

फिर भी दिल ना माना।


दोस्तों ने भी हमको समझाया बहुत था,

फिर भी दिल ना माना,

दुश्मन भी आये, रोकने लगे थे,

फिर भी दिल ना माना।


ये भी पता था की सो ना सकेगा

रातों को अब तू,

फिर भी दिल ना माना।


ये भी पता था की,

आंसू ही देंगे अब जिंदगी में साथ तेरा ,

फिर भी दिल ना माना।


दिल अब भी कहे यही

मोहब्बत वही जो खुद को मिटा दे,

उसकी खुशी के लिए जां भी लूटा दे।


अगर सच्ची है मोहब्बत मेरी

उस बंजर धरती में मोहब्बत का

झरना एक दिन बहा दूंगा।


चाहे जीवन भर खेले वो मेरी ज़िन्दगी से,

मोहब्बत का दीया उसके सीने में

भी एक दिन जला दूंगा।


गर मिटना मोहब्बत है,

तो मिट के दिखा दूंगा। 


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