फिर आना मेरे आँगन

फिर आना मेरे आँगन

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भीगी सी भोर ,रंग गोरी कभी साँवरी

काले मेघ ओढ बरसती कभी खिलती

टपटप ध्वनि ताल गुनगुनाती 

रिमझिम बरसात पायल झनकाती

थिरकती चौबारे ,दालानों में

नवल छ्टा विलसाती


हरे भरे पानों की छुअन लिये

बहती बहार मृदु पावन

टहनियों पर कोयल झाँकती

सहजनाम से काँपती मनभावन



हरा कालीन ,हरित मास लाई

भीगी भीगी बारिश की पुरवाई

भीग रहा चन्दन से,धूपों से,केवड़े से स्नेहिल तन मन


मधुर मधुर दृष्टि पड़ेहरा कालीन ,हरित मास लाई

भीगी भीगी बारिश की पुरवाई

भीग रहा चन्दन से,धूपों से,केवड़े से स्नेहिल तन मन


उमंग संग प्रियतम पर मिष्ठी पड़े



कागज की कश्ती बहती 

फेनिल धाराओं में डूब न जाये

पलती हैं उम्मीद,हँसती हैं आशा 

कहीं छलक न जायें

भोली आशा नन्हे बच्चों सोती जागती जिजीविशा



कहती तुमसे कुछ सावन उस पार उसे तुम पहुँचाना 

फिर आना मेरे आँगन ओ "सावन" 




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