फिल्म
फिल्म
फिल्म हमारी जीवन में रंग नये भर जाती है
जो सपने अधूरे छोड़ दिये उनकी याद दिलाती है
फिल्म केवल मनोरंजन नहीं जीवन की सच्चाई है
समाज में घटने वाली अच्छाई और बुराई है
चलचित्र के सारे किरदार हमसे तुमसे ही तो आते है
बातें जो हम कह ना पाये बोल सभी वो जाते है
कितना कुछ जो करना था कितना कुछ जो किया नहीं
जी लेते है हम वो सारे पल जो खुलकर हमने जिया नहीं
हँसना रोना खोना पाना इसमें सारे रस समाहित है
करने वाले करते है हम देख होते उत्साहित है
फिल्में अपनी उम्मीदें है जो कहती है कुछ भी हो सकता है
कमज़ोर-से-कमज़ोर बदन भी ताक़तवर को धो सकता है
यह हमें जताती है कि बस खुद पर तुम विश्वास करो
दुनिया कदम चूमेंगी तुम्हारे बस तुम मन से लगे रहो
हर एक किरदार यहाँ पर चाहे लिखा ही कहता हो
चाहे किसी के कहे बात पर अपनी बात सुनाता हो
लेकिन कुछ पल को ही हम दुःख दर्द सभी भूल जाते हैं
थके से जाते है फिल्म देखने और जोश में बाहर आते हैं
इसमें समाज दिखता है और समाज इससे देखता है
कुछ सिखाता है इसे और कुछ इससे सीख जाता है।