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Minal Patawari

Inspirational

4  

Minal Patawari

Inspirational

पहचान स्वयं से

पहचान स्वयं से

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ऊंचाइयों का अंबार है

हाथ उठाकर छूना है ।

गुलशन में छाई बहार है 

कांटो से फूलों को चुनना है ।।

अग्नि में तप कर कुंदन 

नाम कनक का पाता है ।

खिलता हो पंक में चाहे 

वह फूल कमल कहलाता है ।।

मझधार में जो मांझी बन जाए 

वह स्वयं किनारा पाता है ।

तम में जो दीपक बन जाए 

वह जग में उजियारा फैलाता है ।।

 पहचानो अपनी हस्ती को 

जानो तुम क्या कर सकते हो --

पथ से अपने शूल हटाकर 

क्या दामन फूलों से भर सकते हो !


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